डाइजेशन की दिक्कत छोटी-मोटी दिक्कत नहीं होती आगे चलकर यह पाइल्स का रूप ले लेती है. कब्ज के पीछे हमारी लाइफस्टाइल का महत्वपूर्ण योगदान होता है.
– ज्यादा देर तक बैठकर काम करने से
– ज्यादा ताला भुना खाने और मसालेदार खाने से
– स्मोकिंग करने से कब्ज की समस्या बढ़ती है.
डाइजेशन में क्या जिम्मेदार होता है-
मेडिसिन का प्रयोग
बहुत सारी बीमारियों की दवाइयां जैसे ब्लड प्रेशर अल्युमिनियम व कैल्शियम युक्त और एंटी डिप्रेसिव मेडिसिन का पहले साइड इफेक्ट कब्ज ही होता है. अगर आपको कब्ज हो गया है तो बिना डॉक्टर की सलाह के बिना अपनी दवाइयां बंद ना करें. क्योंकि इससे कुछ और बीमारी भी हो सकती है डॉक्टर की सलाह लेकर ही दवाइयां को बदलें या बंद करें.
फूड में फाइबर की कमी
अगर आपके खाने में फाइबर नहीं है तो मल त्यागने में दिक्कत आ सकती है. इसलिए डाइट में फाइबर युक्त पोषक तत्व को जरूर जोड़े. फाइबर युक्त खाने से शरीर का डाइजेशन सिस्टम बेहतर बनेगा साथ ही और गंभीर बीमारियों से भी बचे रहेंगे.
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पानी की कमी
अगर आप रेगुलरटी में पानी कम पीते हैं. तो डिहाइड्रेशन की तो दिक्कत पैदा होती ही है. खाना पचाने में भी दिक्कत आती है साथ ही अपच का भी कारण बनता है.
शारीरिक गतिविधियों की कमी
शारीरिक गतिविधियों की कमी की वजह से डाइजेशन में दिक्कत आने लगती है. लोग अपने बिजी शेड्यूल के कारण ऑफिस में पूरे दिन बैठने का काम होता है जिस वजह से कोई भी फिजिकल एक्टिविटी नहीं कर पाते हैं. जिस वजह से कब्ज की परेशानी बढ़ सकती है.
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लाइफस्टाइल के बदलाव के कारण
अगर आपके रेगुलर रूटीन में कुछ भी बदलाव आता है. उससे डाइजेशन में दिक्कत आने लगती है. ज्यादा देर बैठे रहने से, देर तक ट्रेवलिंग करने से और रोजाना में कैफीन लेने से कब्ज का का कारण बन सकता है.
अस्वीकरणः- यह आर्टिकल सामान्य जानकारी प्रदान करता है। हेल्दी चर्चा इसकी पुष्टि नही करता क्योंकि यह कोई डॉक्टरी सलाह नहीं है।