कनजेनिटल हार्ट डिजीज “Congenital Heart Disease” मतलब जन्म के समय ही दिल की संरचना में गलतियां होने को ही कहते है. जरूरी नहीं है इसके लक्षण बचपन में ही पता लग जाए. व्यस्क होने के बाद इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है. ब्लड पंप होने में हार्ट की सामान्य कार्य में दिक्कतें पैदा होने लगती है.
– स्किन में नीलापन हो जाना, और नाखूनों पर भी
– पेट में और पैर में सूजन होना
– शारीरिक विकास में रुकावट आ जाना
– हार्टबीट का असमान्य होना, यह सभी कनजेनिटल हार्ट डिजीज के लक्षण हो सकते हैं.
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कंजेनिटल डिजीज वयस्कों को प्रभावित कर सकता है?
हां वयस्कों पर कंजेनिटल डिजीज असर डाल सकती है. इनमें से कुछ कंजेनिटल डिजीज घटक नहीं होते हैं लेकिन कुछ में जान जाने का खतरा भी रहता है. बहुत बार इसे रिप्लेस भी किया जा सकता है.
कनजेनिटल हार्ट डिजीज के महत्वपूर्ण लक्षण
– ब्लड का सरकुलेशन असामान्य होना
– ब्लड फ्लो असामान्य होने की वजह से, हार्ट से अजीब सी आवाज आती है
– ज्यादा थकान महसूस करना किसी भी शारीरिक गतिविधि करने की वजह से
– चेहरे पर पेट पर व पैर में सूजन होने की दिक्कत आती है
– असामान्य साँस होना, साँस का तेजी से आना
– ज्यादा नींद लेना
– डाइट लेने में दिक्कत आना जिस वजह से शरीर का विकास नहीं हो पाता है
– स्किन व होठो का नीला पड़ जाना.
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यह सभी लक्षणों के होने के कारण
-प्रेगनेंसी के दौरान शराब वह स्मोकिंग की आदत बच्चों में इस बीमारी को बढ़ा सकती है
– प्रेगनेंसी में दवाइयां का प्रयोग डॉक्टर से जांच करवा कर ही करें. नहीं तो बीमारी होने का खतरा हो सकता है.
– प्रेगनेंसी के दौरान रूबेला होना
– जेनेटिक समस्या होने के कारण भी यह है बीमारी बढ़ सकती है
– प्रेगनेंसी के दौरान अगर किसी महिला को डायबिटीज की प्रॉब्लम है तो बच्चों को प्रभावित कर सकती है. जिससे बीमारी बढ़ने का खतरा भी रहता है.