मंकी फीवर जानवर से इंसान में फैलने वाला बुखार है. रोगी जानवर के सीधे संपर्क में आने से यह रोग फैल सकता है. ज्यादातर इसके लक्षण पांच दिन में दिखाई देने लगते हैं. इसलिए इसे बचाने आपको इसके लक्षणों को जानना जरूरी होना चाहिए. जिस समय पर डॉक्टर से जांच कर कर इस बीमारी से समय से निकाला जा सकता है.
मंकी फीवर
मंकी फीवर को क्यानासूर फॉरेस्ट डिजीज चेकर भी बुलाते हैं. पहली बार 1957 में कर्नाटक के कन्नड़ जिले में फैला था. वहां के जी फॉरेस्ट में यह है घटित हुआ था वह नाम ही रख दिया गया है. के इस डिजीज के फैलने के कारण बंदरों की मौत हुई थी. इसीलिए इसे मंकी फीवर भी कह देते हैं.
मंकी फीवर के लक्षण
– सर में दर्द होना, यह भी मंकी फीवर के लक्षण है, सर में धीमा दर्द होना
– सर्दी लगना, मंकी फीवर के आम लक्षणों में से एक है
– मसल्स में पेन होना, के मंकी फीवर के आम लक्षण है
– प्लेटलेट्स में गिरावट आना
– उल्टी आना भी मंकी फीवर होने का ही लक्षण है
– शरीर में रक्तस्राव की दिक्कत
– आंखों में सूजन होना व दर्द का होना भी मंकी फीवर का एक बेहद प्रमुख लक्षण है
मंकी फीवर से कैसे बचा जा सकता है
मंकी फीवर संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से होता है. जंगल से ही मंकी फीवर फैलने का खतरा सदा रहता है. इसलिए जंगल में जानवरों का भी परीक्षण होना समय-समय पर जरूरी है . जो मंकी फीवर जैसी बीमारी को रोकने में लाभदायक हो सकता है. साथी और लोगों में फैलने से भी बचा जा सकता है. इससे बचने के लिए टीका लगाया जाता है जो महीने में दो बार लगवाना पड़ता है. इसके अलावा और कोई उपचार नहीं है. इससे बचने के लिए जानवरों से दूर रहे व साफ सफाई का ख्याल रखें.