बदलते मौसम के चलते खांसी व वायरल बुखार आम समस्या हो गई है लेकिन जिन लोगों को खांसी बुखार या सांस जैसी और अस्थमा की बीमारी पहले से ही है उनके लिए ऐसे मौसम में अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। हालांकि अस्थमा की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है जिसमें सतर्कता बरतनी बेहद जरूरी होती है नहीं तो यह समस्या और भी बढ़ सकती है ऐसे में आपको तुरंत चिकित्सक से सलाह लेने की जरूरत होती है तो वहीं कुछ सावधानियां खुद को भी बरतनी पड़ती है जैसे कि खानपान और जीवन शैली में सुधार कर इससे बचाव किया जा सकता है।
कैसे करें इसके जोखिम को कम?
यदि किसी मरीज को सांस की तकलीफ है तब उसे तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, लेकिन साथ ही कुछ उपचार भी अपनाना चाहिए। अस्थमा के कारण आपको हृदय से जुड़ा खतरा भी हो सकता है इसके लिए आप अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करें।
प्रदूषण से कैसे करें बचाव? फेफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण होते हैं यह ऑक्सीजन प्राप्त करने का माध्यम है ऐसे में यदि हम लगातार प्रदूषित हवा के संपर्क में आते हैं तब इसका दुष्प्रभाव शरीर के अन्य अंगों पर भी पढ़ सकता है यदि छोटे बच्चों को प्रदूषण युक्त वातावरण में रखा जाए तो आगे चलकर समस्याओं के सामना करना पड़ सकता है इसके लिए आप मास्क का प्रयोग व प्रदूषण से बचाव करें।
किन बातों का रखें ध्यान?
– फेफड़ों को मजबूत बनाए रखने के लिए नियमित रूप से योगासन करें साथ ही गहरी सांस लें और अनुलोम विलोम करना फेफड़ों की सेहत के लिए बहुत ही बेहतर उपाय है।
– यदि हम रोजाना नियमित रूप से टहलते, दौड़ते हैं और एक्सरसाइज की करते हैं तो इससे हम अपने फेफड़ों के स्वस्थ रख सकते हैं।
– अपने जीवन शैली को थोड़ा बदल कर भी हम इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। – वजन नियंत्रित रखें इसके लिए अपनी डाइट में संतुलित खान-पान को शामिल करें। मोटापा बढ़ने से भी सांस की समस्या बढ़ सकती है।
– मौसमी अस्थमा यानी बदलते मौसम में आपको सांस की परेशानी हो जाती है तब आप नियमित दवा का सेवन करें हालांकि इससे पहले आप चिकित्सा की सलाह ले लें।
अस्वीकरणः- यह आर्टिकल सामान्य जानकारी प्रदान करता है। हेल्दी चर्चा इसकी पुष्टि नही करता क्योंकि यह कोई डॉक्टरी सलाह नहीं है।